मुद्रा एवं बैंकिंग |

मुद्रा एवं बैंकिंग | भारतीय रिजर्व बैंक, अंग्रेज़ी: Reserve Bank of India, भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिज़र्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल सन् 1935 को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई।

मुद्रा एवं बैंकिंग |


*भारत का पहला बैंक, बैंक ऑफ़ हिंदुस्तान था, जिसकी स्थापना यूरोपीय पद्धति पर एलेक्जेंडर एंड कंपनी द्वारा 1770 ई में कलकत्ता (कोलकाता ) में की गई थी |

*सीमित देयता के आधार पर भारतीयों द्वारा संचालित, भारत का प्रथम बैंक, अवध कमर्शियल बैंक (1881) तथा पूर्ण स्वामित्व वाला प्रथम भारतीय बैंक, पंजाब नेशनल बैंक था (1894) था |

*बैंक ऑफ़ बंगाल, बैंक ऑफ़ मद्रास तथा बैंक ऑफ़ बॉम्बे की स्थापना क्रमशः 1806 ई. 1840 ई. एवं 1843 ई. में मिलाकर वर्ष 1921 में इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया की 3जी अंशधारिता पर की गई, जिसे 1 जुलाई,1955 को राष्ट्रीयकरण के बाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना गया |

*स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के राष्ट्रीयकरण के समय इसके 8 सहयोगी बैंको का भी राष्ट्रीयकरण किया गया था, परन्तु बाद में सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र तथा स्टेट बैंक ऑफ़ इंदौर का स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में विलय कर दिया |

*भारतीय महिला बैंक :महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 5 अगस्त 2013 को इसकी स्थापना की | इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है |उषा अनंत सुब्रमण्यम को इसका प्रथम चेयरमैन सह- प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया |1 अप्रैल,2017 को एस. बी. आई में विलय हो गया |

*स्टेट बैंक ऑफ़ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ़ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर का वर्ष 2017 में एस. बी. आई में विलय कर दिया गया |

*अगस्त,2019 में पंजाब बैंक में ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ़ इंडिया, केनरा बैंक में सीडीकेट बैंक, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया में आंध्रा बैंक एवं कारपोरेशन बैंक तथा इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय हो गया |

वैध मुद्रा क्या है?

वैध मुद्रा वह सिक्का अथवा बैंकनोट है जो कानूनी रूप से कर्ज अथवा देयता के बदले दी जा सकती है ।

भारत सरकार द्वारा सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत जारी सिक्के भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर वैध मुद्रा होंगे, बशर्ते कि उन्‍हें विकृत नहीं किया गया हो तथा निर्धारित वजन की तुलना में उसका वजन कम नहीं हुआ हो । एक रुपया से कम मूल्‍यवर्ग को छोड़कर किसी भी सिक्‍के को एक हजार रुपये तक की किसी भी राशि के संबंध में वैध मुद्रा माना जाएगा । पचास पैसे (आधा रुपया) का सिक्का, दस रुपये तक की राशि के लिए वैध मुद्रा होगा । किसी को भी उल्लिखित सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, किंतु स्वेच्छा से उक्त सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने पर रोक नहीं है ।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रत्‍येक बैंकनोट (₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 तथा ₹2000), जब तक कि उसे संचलन से वापस न ले लिया जाए, उसमें उल्लिखित राशि के लिए भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर भारत में वैध होगा, तथा भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत होगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के अधीन होगा । भारत सरकार द्वारा जारी ₹1 के नोट भी वैध मुद्रा होंगे । महात्मा गांधी शृंखला के अंतर्गत 08 नवंबर 2016 तक जारी किए गए ₹500 तथा ₹1000 के बैंकनोट 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से वैध मुद्रा नहीं रहे|

बैंक नोटों व सिक्कों का उत्पादन/ढलाई कहाँ किया जाता/की जाती है ? 

बैंक नोटों को चार मुद्रणालयों में मुद्रित किया जाता है । इसमें से दो का स्‍वामित्‍व उसके निगमों –सिक्‍यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंन्टिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के माध्‍यम से भारत सरकार के पास है, तथा दो का स्‍वामित्‍व उसके पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी संस्‍था, भारतीय रिज़र्व बैंकनोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के माध्‍यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है । एसपीएमसीआईएल की मुद्रा प्रेस नासिक (पश्चिमी भारत) तथा देवास (मध्य भारत) में स्थित हैं । बीआरबीएनएमपीएल की दो प्रेस मैसूर (दक्षिण भारत) तथा सालबोनी (पूर्वी भारत) में स्थित हैं ।

सिक्कों की ढलाई एसपीएमसीआईएल के स्वामित्व वाली चार टकसालों में की जाती है । ये टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता तथा नोएडा में स्थित हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 38 के अनुसार संचलन हेतु सिक्‍के सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से जारी किए जाते हैं ।

मुद्रा प्रबंधन में भारतीय रिज़र्व बैंक की क्या भूमिका है ?

अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, भारत में नोट निर्गमित करने का एकमात्र अधिकार रिज़र्व बैंक के पास है । धारा 25 में उल्‍लेख है कि बैंकनोट की रूपरेखा (डिजाइन), स्‍वरूप और सामग्री भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर विचार करने के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुरूप होगी ।

रिज़र्व बैंक, केंद्र सरकार तथा अन्य साझेदारों के परामर्श से, एक वर्ष में मूल्यवर्ग वार संभावित आवश्‍यक बैंक नोटों की मात्रा का आकलन करता है और बैंक नोटों की आपूर्ति हेतु विभिन्न करेंसी प्रिंटिंग प्रेसों को माँगपत्र (इंडेंट) सौंपता है । रिज़र्व बैंक अपनी स्वच्छ नोट नीति के अनुसार, आम जनता को अच्छी गुणवत्ता के बैंकनोट उपलब्ध कराता है । इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संचलन से वापस लिए गए बैंक नोटों की जांच की जाती है तथा जो संचलन के योग्य हैं उन्हें पुन: जारी किया जाता है, जबकि अन्य (गंदे तथा कटे-फटे) को नष्ट कर दिया जाता है ताकि संचलन में बैंक नोटों की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके ।

सिक्कों के संबंध में, भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका भारत सरकार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले सिक्कों के वितरण करने तक सीमित है । सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 के अनुसार विभिन्न मूल्यवर्ग के सिक्कों की रूपरेखा तैयार करने (डिजाइनिंग) तथा ढलाई की जिम्‍मेदारी भारत सरकार की है । जानकारी आरबीआई की official website से |

Article by: Netsepaisa.com

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